राज्यसभा सांसद और जी समूह के संरक्षक सुभाष चंद्रा ने मुंबई में कफ परेड स्थित अपने बंगले को चीनी वाणिज्य दूतावास को किराए पर दे दिया है। रियल एस्टेट क्षेत्र की वेबसाइट स्क्वायरफीट की रिपोर्ट के अनुसार इस समझौते पर 29 जून को सुभाष चंद्रा की ओर से भाऊ पाटील आरोटे और 'द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' के महावाणिज्य दूत हुआंग जियांग ने हस्ताक्षर किए हैं।
आरोटे को इसकी पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई है। स्क्वायरफीट की रिपोर्ट के अनुसार, लॉक-इन अवधि नौ महीने के लिए है और समझौते को समाप्त करने के लिए प्रत्येक पक्ष को तीन महीने का नोटिस देना होगा। यह बंगला मुंबई के जॉली मेकर 1 में स्थित है, जो मुंबई शहर में सबसे अधिक पॉश इलाकों में गिना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सौदा एक जुलाई, 2020 को मुंबई में पंजीकरण कार्यालय के साथ पंजीकृत हुआ, जबकि 29 जून को कागजी काम किया गया। सुभाष चंद्रा ने 15 जून को लीज और लाइसेंस के काम को करने के लिए आरोटे को एक विशिष्ट पावर ऑफ अटॉर्नी दी।
चीनी वाणिज्य दूतावास ने एक चेक के माध्यम से सुभाष चंद्रा को 58.80 लाख रुपये का भुगतान किया है। राशि में नौ महीने के लिए अग्रिम किराया और 14.70 लाख रुपये की वापसी योग्य जमा राशि शामिल है।
बंगले के भूतल में एक बैठक और एक रसोईघर है। पहली मंजिल पर तीन बेडरूम और एक बच्चे का बेडरूम है, जबकि दूसरी मंजिल पर एक बेडरूम है। रियल एस्टेट वेबसाइट ने बताया कि बंगले का प्रति माह किराया 4.90 लाख रुपये है।
बंगले का कालीन क्षेत्र 2,590 वर्ग फुट है और चीनी दूतावास को दो ढकी हुई पार्किंग का उपयोग करने के लिए भी मिलेगा। किराया समझौता एक जुलाई, 2020 से शुरू होकर 30 जून, 2022 को समाप्त होने वाले दो वर्षों के लिए है। बंगले का इस्तेमाल चीनी वाणिज्य दूतावास अपने अधिकारियों, कर्मचारियों और मेहमानों के साथ ही आवासीय उद्देश्यों के लिए कर सकता है।
इस समझौते में एक कूटनीतिक खंड भी है, जिसमें कहा गया है, यदि चीन गणराज्य या भारत सरकार के द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय के परिणामस्वरूप चीन गणराज्य के महावाणिज्य दूतावास का कार्यालय बंद हो जाता है, तो मुंबई में किसी भी समय (लॉक-इन-पीरियड सहित) समझौता समाप्त हो जाएगा।
संयोग से किराएदारी का यह अनुबंध लद्दाख में भारत और चीन के बीच खूनी झड़प के एक पखवाड़े के बाद हुआ है, जहां 20 भारतीय सैनिक 15 जून को शहीद हो गए थे। जी के प्रवक्ता से बात करने के बार-बार प्रयास करने के बावजूद समूह ने कोई जवाब नहीं दिया।
जी मीडिया चीन के खिलाफ आक्रामक है और वह चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के साथ एक सख्त राष्ट्रवादी स्वर की वकालत भी करता है। जी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्र, फ्लैगशिप कंपनी, जी एंटरटेनमेंट के निदेशक मंडल में एक गैर-कार्यकारी निदेशक हैं।
गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से चीन और भारत के बीच रिश्तों में कड़वाहट बढ़ रही है और इस घटना के बाद से देश में चीन विरोधी भावनाओं में बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार ने कई चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है और सरकारी अनुबंधों से चीनी कंपनियों को हटा दिया गया है।.
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