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पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिखों के लिए कोई जगह नहीं

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में सिखों को डराने-धमकाने जैसी घटनाएं देखने को मिली हैं। पाकिस्तान में सिख लड़कियों का अपहरण करके उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामले भी सामने आए हैं।

विडंबना यह है कि यह ऐसे समय में हो रहा है, जब पाकिस्तान सरकार ने सिखों को लुभाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करते हुए उनके लिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के द्वार खोल दिए हैं। यह घटनाएं ऐसे समय में हो रही हैं, जब पाकिस्तान खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए उसे प्रोत्साहित कर रहा और उसे धन मुहैया करा रहा है।

सहिष्णुता के मुद्दे पर भारत को पाठ पढ़ाने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपने ही देश के कट्टरपंथियों के सामने हथियार डाल चुके हैं। हाल ही में लाहौर में स्थानीय लोगों ने व्यस्त नौलखा बाजार में गुरुद्वारा शहीदी स्थान को एक मस्जिद में बदलने की धमकी दी है।

एक वीडियो में लाहौर निवासी सुहेल बट अत्तारी द्वारा लोगों को इसे ऐतिहासिक मस्जिद शहीदी गंज में परिवर्तित करने के लिए जुटने की कोशिश की गई है। यह एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। इसका निर्माण भाई तारु सिंह के बलिदान को याद करने के लिए किया गया था, जिन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुगल शासकों से लोहा लिया था। भारत में भी इस घटनाक्रम की नेताओं और राजनीतिक दलों द्वारा निंदा की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "पाकिस्तानी उच्चायोग के समक्ष आज उस कथित घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया कि पाकिस्तान के लाहौर के नौलखा बाजार स्थित भाई तारु सिंह जी की शहादत स्थल गुरुद्वारा 'शहीदी स्थान' को कथित तौर पर मस्जिद शहीद गंज स्थान होने का दावा किया गया है और उसे एक मस्जिद में तब्दील करने के प्रयास किए जा रहे हैं।"

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी पाकिस्तानी सिखों के धार्मिक अधिकारों पर इस हमले की कड़ी आलोचना की है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "लाहौर में पवित्र श्री शहीदी स्थान गुरुद्वारे को मस्जिद में बदलने के प्रयासों की कड़ी निंदा करता हूं। यह स्थान भाई तारु सिंह जी की शहादत स्थली है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से अपील करता हूं कि वह पंजाब की इस चिंता को सख्ती से पाकिस्तान के समक्ष उठाते हुए सिखों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहें।"

पाकिस्तान में अधिकारों से वंचित और अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हजारों सिख और हिंदू हर साल भारत में पलायन करते हैं। सत्ता में आने के तुरंत बाद भाजपा सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू और सिख शरणार्थियों को वीजा देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया था।

कुछ पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे जुल्म को देखते हुए भारत सरकार ने घोषणा की थी कि ऐसे सभी उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को फास्ट-ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।

भारत के पश्चिमी पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न लगातार जारी है। पाकिस्तान में हाल ही में सिखों की सुरक्षा के बारे में चिंताएं बढ़ती नजर आई हैं। यहां जनवरी 2020 में लगभग 400 गुस्साए लोगों की भीड़ ने सिख विरोध नारे लगाते हुए लाहौर के पास गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमला किया था।

इसी तरह मार्च 2017 में सिखों ने राष्ट्रीय जनगणना के रूप में एक धर्म के रूप में शामिल नहीं होने पर विरोध दर्ज कराया था। देश की अदालतों के विरोध और याचिका दायर होने के बाद जनगणना में अल्पसंख्यक समूह को एक अलग धर्म के रूप में जोड़ा गया। हालांकि जब कुछ साल बाद जनगणना जारी की गई, तो पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों के लिए डेटा जारी नहीं किया।

अल्पसंख्यक विरोधी माहौल पूरे पाकिस्तान में व्याप्त है और यह अत्यधिक विषाक्त होता जा रहा है।.

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