खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) को इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी (आईआरसीएस) से 1.80 लाख मास्क की आपूर्ति का आदेश मिला है। गुणवत्ता और किफायती कीमत के कारण खादी के फेस मास्क की लोकप्रियता पूरे देश में बढ़ रही है।
केवीआईसी के अनुसार आईआरसीएस मास्क लाल पाइपिंग के साथ भूरे रंग में 100 प्रतिशत डबल-ट्विस्टेड दस्तकारी सूती कपड़े से बना होगा। भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के लिए केवीआईसी ने इन डबल-लेयर्ड कॉटन मास्क का डिजाईन विशेष रूप से तैयार किया है, जो उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए नमूनों के अनुरूप है।
मास्क में बाईं ओर आईआरसीएस लोगो और दाईं ओर खादी इंडिया टैग मुद्रित होगा। अगले महीने से मास्क की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। इस आदेश को पूरा करने के लिए 20,000 मीटर से अधिक कपड़े की आवश्यकता होगी। जो खादी कारीगरों के लिए 9000 अतिरिक्त मानव कार्य दिवसों का सृजन करेगा।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के खरीद-आदेश का स्वागत किया और कहा कि खादी फेस मास्क की भारी मांग “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक बड़ा कदम है। सक्सेना ने कहा "इस आदेश से हमारे खादी कारीगरों को अधिक धागे और कपड़े का उत्पादन करने में मदद मिलेगी और इस कठिन समय में उनकी आय में और वृद्धि होगी।"
खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने कहा कि अब तक 10 लाख से अधिक फेस मास्क की बिक्री की जा चुकी है। जिसमें दो स्तर वाले कॉटन मास्क और तीन स्तर वाले सिल्क मास्क शामिल हैं। केवीआईसी को फेस मास्क का सबसे बड़ा ऑर्डर जम्मू-कश्मीर सरकार से मिला था। इसके तहत 7 लाख मास्क की आपूर्ति नियत समय पर की गयी।
अब तक इन मास्क को तैयार करने में लगभग एक करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 1 लाख मीटर सूती कपड़े का और विभिन्न रंगों और प्रिंटों के लगभग 2000 मीटर सिल्क कपड़े का उपयोग किया जा चुका है।
केवीआईसी को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और आम जनता से केवीआईसी ई-पोर्टल पर आपूर्ति के लिए बार-बार आदेश मिलते हैं। केवीआईसी ने भारतीय रेल को 20,000 से अधिक फेस मास्क की आपूर्ति की है। बिक्री के अलावा, केवीआईसी ने पूरे देश में खादी संस्थानों के माध्यम से जिला प्राधिकारों को लगभग 10 लाख खादी मास्क वितरित किए हैं।
फेस मास्क कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। डबल ट्विस्टेड खादी फैब्रिक से तैयार ये मास्क न केवल मांग की गुणवत्ता और पैमाने को पूरा करते हैं बल्कि किफायती हैं, इनमें सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होती है, इन्हें धोया व पुनः उपयोग किया जा सकता है और ये जैव-विघटन योग्य हैं।.
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