5 अगस्त एक महत्वपूर्ण तारीख है, क्योंकि इसी दिन एक साल पहले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को एक विधायी उपाय के माध्यम से खत्म कर दिया गया था और जम्मू और कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था। इसके अन्य बदलाव इसके निकटवर्ती इलाके लद्दाख में भी प्रभावी हुए।
कश्मीर में लोगों के दमन या उनके साथ अनुचित व्यवहार के पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसियों द्वारा फैलाए गए प्रचार के विपरीत तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित वास्तविक तस्वीरें खुद साफ करती हैं कि आज कश्मीर में बेहतर भविष्य के वादे के साथ चीजें ज्यादा सामान्य हैं।
1 जनवरी से 15 जुलाई, 2020 तक कश्मीर में आतंकवादी हिंसा में 2019 में इसी अवधि के आंकड़ों की तुलना में उल्लेखनीय कमी आई है। पिछले वर्ष 188 के मुकाबले अब तक केवल 120 लोगों की मौतें हुई हैं, जो इस बात को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है। गौरतलब है कि इस दौरान सुरक्षा बलों के केवल 35 लोग शहीद हुए, जबकि इसकी तुलना में पिछले वर्ष यह संख्या 75 थी। वर्तमान परिदृश्य में आतंकवादियों के खिलाफ कदम बढ़ाए जाने से पिछले साल के 126 मुकाबले इस बार 136 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने खत्म कर दिया, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित थे। इस वर्ष 15 जुलाई तक मारे गए 136 आतंकवादियों में से 110 स्थानीय थे, जबकि बाकी सीमा पार आतंकवाद का हिस्सा थे, जो पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित और भेजे गए थे।
जिन आतंकवादियों का सफाया किया गया, उनमें हिजबुल मुजाहिदीन का रियाज नाइकू, लश्कर-ए-तोइबा से संबंधित हैदर, जैश-ए-मुहम्मद के कारी नासिर और बुरहान कोका शामिल हैं। महत्वपूर्ण रूप से 22 आतंकवादियों और उनके 300 सहयोगियों को सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया है और उनके अधिकांश ठिकानों और तथाकथित सुरक्षित घरों का भंडाफोड़ किया गया है। आईईडी विस्फोटों के मामलों में भी तेज गिरावट आई है और विश्वसनीय रिपोर्टों के अनुसार इस वर्ष केवल एक ही मामला है, हालांकि पिछले साल हमने इसी अवधि में छह मामलों को देखा था। आतंकियों के पास से भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार भी बरामद हुए हैं।
नए आतंकियों की भर्ती प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से 40% की गिरावट की प्रवृत्ति है, जो एक बहुत उत्साहजनक रूख है। इस साल केवल 67 युवाओं को आतंकी गतिविधियों से जोड़ा जा सका है। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां दावा कर रही हैं कि संभावित आतंकवादी 5 अगस्त 2019 के फैसले के बाद अब केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों के बीच काफी ज्यादा हताश महसूस कर रहे हैं।
काउंटर टेरर फोर्स द्वारा कश्मीर में आतंक से निपटने के अलावा साथ ही अब कश्मीरियों के लाभ के लिए विकास परियोजनाओं पर ज्यादा जोर है। इस वर्ष जम्मू और कश्मीर के लिए एक नई हाइड्रो पावर और नवीकरणीय ऊर्जा नीति की घोषणा की गई है। इन योजनाओं के तहत सौर ऊर्जा को भी शामिल किया जाएगा। किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर 624 मेगावॉट की किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना 17 जून, 2020 को चालू हो गई। इस बीच जिला कठवा में उघ नदी पर प्रस्तावित 280 मेगावॉट बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण में तेजी लाने के लिए योजनाएं सक्रिय रूप से विकसित हो रही हैं। इसके अलावा, गांदरबल और अनंतनाग में चार छोटी परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।
इन सब के अलावा लेह में 45 मेगावॉट निम्मो बाजगो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और कारगिल में 44 मेगावॉट चूटर परियोजना सक्रिय रूप से अंतिम चरण चल रही है। नेशनल हिल पावर कॉरपोरेशन (NHPC) इन परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने में सहयोग कर रहा है। क्षेत्र में निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए कई योजनाएं भी चल रही हैं और चीजें एक तेज गति से आगे बढ़ रही हैं।
इसके अलावा बांदीपोरा और बादामपोरा में ग्रिड स्टेशन चालू हो गए हैं। जोजिला परियोजनाओं के तहत कई बड़ी सुरंगों और पुलों का भी निर्माण किया जा रहा है, जो आकार में बड़ी हैं और उनके 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को बेहतर संपर्क के लिए सीमा सड़कों के निर्माण के लिए अतिरिक्त और ज्याद धन आवंटित किया गया है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर केंद्र सरकार और यूटी प्रशासन की ओर से कश्मीर में विभिन्न स्वास्थ्य परियोजनाओं के बारे में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। नर्सिंग स्कूलों और कॉलेजों को उन्नत किया जा रहा है और गुणवत्ता और आधुनिकीकरण परियोजनाओं की योजना मजबूत तरीके से बनाई गई है।
कश्मीर में नई स्थिति लागू करने के मद्देनजर कुछ सकारात्मक राजनीतिक विकास के संकेत भी हैं। यूटी में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से ईमानदार प्रयास किए गए हैं। जम्मू एवं कश्मीर राज्य के पूर्व वित्त मंत्री मुफ्ती अल्ताफ बुखारी ने मार्च 2020 में अपनी पार्टी नामक एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू की थी। जेएंडके वर्कर्स पार्टी के नाम से मशहूर एक अन्य राजनीतिक दल के बारे में भी सूचना है। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में ब्लॉक स्तर के चुनाव सफलतापूर्वक हुए थे।
एक अन्य राजनीति से संबंधित विकास में हुर्रियत नेता और प्रसिद्ध कश्मीरी अलगाववादी सैयद अली गिलानी ने हुर्रियत गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया है। हालांकि नवीनतम रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तान सीनेट ने हाल ही में (27 जुलाई) निर्णय लिया है कि गिलानी को सर्वोच्च पाकिस्तानी नागरिक निशन-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया जाए। इसके अलावा गिलानी के नाम पर एक विश्वविद्यालय का नाम रखने या निर्माण करने का भी निर्णय लिया है।
यह साफ करना उचित होगा कि मुशर्रफ शासन के तहत मारे गए बलूच नेता बुगती या  तत्कालीन सिंध आंदोलन के जीएम सैयद या अगर नवाज  शरीफ के नाम पर कुछ पड़ोसी देशों द्वारा विश्वविद्यालयों का नाम रखने या उनकी प्रतिमाएं खड़ा करने या जीवित या मरणोपरांत उन्हें सम्मानित करने पर पाकिस्तान को कैसा लगेगा। इस तरह के कदमों से निश्चित रूप से पाकिस्तान आहत होगा। इसलिए ये कदम असाधारण हैं, निश्चित रूप से केवल कश्मीरियों की सहानुभूति अर्जित करने और इस मुद्दे को जीवित रखने के लिए हैं। जो भी हो यह सांकेतिक है और कश्मीरियों से किसी भी भावुक लाभ को प्राप्त करने की संभावना नहीं है।
कश्मीर में इन सकारात्मक और रचनात्मक घटनाक्रमों के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई के सक्रिय सहयोग से 5 अगस्त को एक योजना बनाई है। उनके 18 सूत्रीय एजेंडे में अन्य बातों के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर विधानसभा को संबोधित करना और विदेशी पत्रकारों के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित इलाके का यात्रा का कार्यक्रम भी शामिल है। जबकि आईएसआई ने मुज़फ़्फ़राबाद के पास अपने क्षेत्र के जिम्मेदार लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए कहा है ताकि आने वाले पत्रकारों को मुज़फ़्फ़राबाद के पास स्थित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों की कोई झलक न मिले। इन स्थानों से आतंकवादियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ करने और अपनी सरकार द्वारा प्रायोजित विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न गतिविधियो में प्रशिक्षित किया जाता है।
इमरान खान और उनकी आईएसआई अच्छा करेंगे अगर वे पाक अधिकृत कश्मीर पर विकास और रचनात्मक परियोजनाओं को शुरू करते और इलाके की भलाई के लिए योगदान करने के लिए जनसंख्या को राजनीतिक रूप से जागरूक बनाते। भारत की तरह जहां यूटी प्रशासन ने एक साल में इतना कुछ हासिल किया है, पीओके को स्वास्थ्य, संचार के साधन और शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए। पाकिस्तान की ओर के गरीब कश्मीरियों में भारतीयों के प्रति घृणा पैदा करके आतंक फैलाना उनके प्रशासन में हमेशा की तरह उल्टा साबित हुआ है। यह हमेशा की तरह एक प्रतिगामी कदम है, जिसमें कोई सकारात्मक परिणाम कभी नहीं दिखाई देते हैं।
इसके अलावा पाकिस्तान तुर्की, चीन और मलेशिया से भारत विरोधी बयान जारी कराने या इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को कश्मीर पर भारत विरोधी रुख अपनाने के लि कोशिश कर रहा है। जैसा कि अतीत में हुआ, वह इसमें सफल नहीं हुआ। विश्लेषकों का मानना है कि ये सभी पाकिस्तान के व्यर्थतापूर्ण कार्य हैं। इसके बजाय यह अच्छा रहेगा कि पाकिस्तान अपना पूरा ध्यान मौजूदा कोविड महामारी से निपटने और देश जिस आतंक के खतरे से जूझ रहा है,उससे निपटने में लगाए।
<strong>(लेखक एक सुरक्षा विश्लेषक और सामयिक मुद्दों पर एक स्वतंत्र स्तंभकार है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं)</strong>.
Prime Minister Narendra Modi on Tuesday met the Prime Minister of the United Kingdom, Keir…
Shahdara Cyber Police Station in the national capital has arrested a Chinese national, Fang Chenjin,…
Elon Musk-owned SpaceX on Tuesday successfully launched and deployed India's communication satellite GSAT-N2 into its…
Prime Minister Narendra Modi, following a busy first day at the G20 Summit in Rio…
The summit of Group of 20 leading economies in Brazil issued the 'G20 RiodeJaneiro Leaders'…
External Affairs Minister S Jaishankar on Tuesday held talks with Chinese Foreign Minister Wang Yi…