केंद्र सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तान को आगाह किया कि वह अपने भड़काऊ बयानों से भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने से बाज आए.
पाकिस्तान ने बुधवार को आयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह की कड़ी निंदा की थी.
इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "भारत के एक आंतरिक मामले पर इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान द्वारा प्रेस को दिए गए बयान हमने देखे हैं."
प्रवक्ता ने पाकिस्तान को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि उसे भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आना चाहिए और सांप्रदायिक उकसावे से बचना चाहिए.
उन्होंने कहा, "सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और अपने यहां अल्पसंख्यकों को उनका धार्मिक अधिकार देने से इंकार करने वाले किसी राष्ट्र का यह रुख कोई आश्चर्यजनक नहीं है। इस तरह की टिप्पणियां अत्यंत खेदजनक है."
इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने एक आधिकारिक बयान में बुधवार को दावा किया था कि जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, वहां लगभग पांच सदी तक बाबरी मस्जिद खड़ी थी.
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया है, उसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए इस्लामाबाद ने कहा कि इसने न केवल न्याय के ऊपर आस्था की प्राधना को जाहिर किया है, बल्कि आज के भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को भी, जहां अल्पसंख्यक, खासतौर से मुस्लिम और उनके धर्मस्थल हमले के शिकार हो रहे हैं.
इमरान खान सरकार ने कहा, "एक ऐतिहासिक मस्जिद के स्थान पर मंदिर का निर्माण आने वाले समय के लिए तथाकथित भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक धब्बा बना रहेगा। वर्ष 1992 में भाजपा और उससे संबद्ध चरमपंथी हिंदू संगठनों द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दृश्य दुनिया भर के मुसलमानों के मन में ताजा बने हुए हैं."
बयान में कहा गया है कि उसके बाद से ओआईसी ने सदियों पुरानी मस्जिद को तोड़े जाने के जघन्य कृत्य की निंदा के लिए कई सारे प्रस्ताव पारित किए हैं..